Jab Tak Pure Na Ho Phere Saat lyrics

by

Jaspal Singh



जब तक पूरे ना हों फेरे सात
जब तक पूरे ना हों फेरे सात
तब तक दुल्हिन नहीं दुल्हा की
रे तब तक बबुनी नहीं बबुवा की ना
जब तक पूरे ना हों फेरे सात

अभही तो पहुना पहली भंवर पड़ी है
अभीं तो दिल्ली दूर खड़ी है
हो पहली भंवर पड़ी है दिल्ली दूर खड़ी है
सात फेरे सात जन्मों का साथ
जब तक पूरे ना हों फेरे सात
जैसे जैसे भँवर पड़े मन अपनों को छोड़े
एक एक भाँवर नाता अन्जानों से जोड़े
मन घर अंगना को छोड़े
अन्जानों से नाता जोड़े
सुख की बदरी आँसू की बरसात
जब तक पूरे ना हों फेरे सात

तब तक दुल्हिन नहीं दुल्हा की
रे तब तक बबुनी नहीं बबुवा की
ना..
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