Ramkatha lyrics

by

Sukhwinder Singh



तो बोलो सिया पति रामचंद्र महाराज की जय
पवन सुत हनुमान की जय, जय हो

सुनो-सुनो राम कथा ये, हर लेगी सकल व्यथा ये
दशरथ के सुख की गाथा, पुरुषों में जो उत्तम था

सुनो, सुनो, सुनो वो अध्याय
जब पुरुषोत्तम श्री राम ने लंका पे कर के चढ़ाई
रावण को धूल चटाई और सीता भी वापस आई

सुनो, सुनो, सुनो सुनाऊँ
कलयुग में सतयुग दरसाऊँ
शुभ, शुभ, शुभ संदेश सुनाऊँ
राम-सिया के गुण मैं गाऊँ

सुनो-सुनो राम कथा ये, हर लेगी सकल व्यथा ये
दशरथ के सुख की गाथा, पुरुषों में जो उत्तम था

पुरुषोत्तम राम जगत के, पवन पुत्र राम भक्त थे
लक्ष्मण थे ढाल से भारी, लंका पे हुई चढ़ाई
फिर राम जी ने अपनी अर्धांगिनी माता सीता को पाया

पुरुषोत्तम राम जगत के, पवन पुत्र राम भक्त थे
लक्ष्मण थे ढाल से भारी, लंका पे हुई चढ़ाई

तो बोलो सिया पति रामचंद्र महाराज की जय
लंका पे लंकेश हरा के, देख तीर शमशीरों से
चले अयोध्या राम पलट के, वीरों से रणधीरों से
अधरों पे मुस्कान धरी, भुजा में अपनी मान भरी
जय जय जय राम हुई, और लंका में लंकेश मरा

राम चले तो सेवक भ्राता साथ चले
गाँव-गाँव में राम-सिया की बात चले
जहाँ-जहाँ से राम की सेना गुज़र रही
उमड़-घुमड़ के जंगल आए आज वहीं

शोर मचाए, जश्न मनाए
राम-सिया के दर्शन पाए
जय जय जय जयकार बुलाएँ
पग-पग पे दीप जलाएँ

अरे, सुनो-सुनो राम कथा ये, हर लेगी सकल व्यथा ये
दशरथ के सुख की गाथा, पुरुषों में जो उत्तम था
और उसके बाद सब मिलकर अयोध्या लौट आए

खुशी के पल-छिन उस पल बीते
एक मूर्ख जब बोला ऐसे
"राम हैं केवल लंका जीते, लंका जीते
क्या पाया है सीता को राम ने पावन?
क्या पावनता को भंग कर गया पापी रावण?"

राम ये सुन के रह गए मन से रीते रीते
"अग्नि परीक्षा दे दो," बोले पावन सीते
अग्नि परीक्षा?
अश्रु धरा ने मनवा सींचा, सीता ने दी अग्नि परीक्षा
अच्छाई की जीत सुनिश्चित होती है
सच्चाई ही सबसे महंगा मोती है
हुआ दाम को था सिर नीचा
सफल हो गई अग्नि परीक्षा
अरे, सफल हो गई अग्नि परीक्षा

गदगद हो राम यूँ बोले, पावन से भेद यूँ खोले
"सत्य और प्रेम कभी ना मृत्यु के आगे डोले"

सुनो-सुनो राम कथा ये, हर लेगी सकल व्यथा ये
दशरथ के सुख की गाथा, पुरुषों में जो उत्तम था

तो बोलो सिया पति, रामचंद्र महाराज की जय
पवन सुत हनुमान की जय, जय हो
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