Ram Darshan - Volume 1 lyrics

by

Narci


[Chorus: Prem Bhushan Ji Maharaj]
पता नहीं किस रूप में आकर नारायण मिल जाएगा
निर्मल मन के दर्पण में वह राम के दर्शन पाएगा

पता नहीं किस रूप में आकर नारायण मिल जाएगा
निर्मल मन के दर्पण में वह
राम के दर्शन पाएगा

पता नहीं किस रूप में आकर नारायण मिल जाएगा
निर्मल मन के दर्पण में वह
राम के दर्शन पाएगा

[Verse 1: Narci]
सांस रुकी तेरे दर्शन को, न दुनिया में मेरा लगता मन
शबरी बनके बैठा हूँ मेरा श्री राम में अटका मन
बेक़रार मेरे दिल को मैं कितना भी समझा लूँ
राम दरस के बाद दिल छोड़ेगा ये धड़कन
काले युग प्राणी हूँ पर जीता हूँ मैं त्रेता युग
करता हूँ महसूस पलों को माना ना वो देखा युग
देगा युग कलि का ये पापों के उपहार कई
छंद मेरा पर गाने का हर प्राणी को देगा सुख
हरी कथा का वक्ता हूँ मैं, राम भजन की आदत
राम आभारी शायर, मिल जो रही है दावत
हरी कथा सुना के मैं छोड़ तुम्हें कल जाऊंगा
बाद मेरे न गिरने न देना हरी कथा विरासत
पाने को दीदार प्रभु के नैन बड़े ये तरसे हैं
जान सके न कोई वेदना रातों को ये बरसे हैं
किसे पता किस मौके पे, किस भूमि पे, किस कोने में
मेले में या वीराने में श्री हरी हमें दर्शन दे
[Chorus: Prem Bhushan Ji Maharaj]
पता नहीं किस रूप में आकर नारायण मिल जाएगा
निर्मल मन के दर्पण में वह
राम के दर्शन पाएगा

पता नहीं किस रूप में आकर नारायण मिल जाएगा
निर्मल मन के दर्पण में वह
राम के दर्शन पाएगा

पता नहीं किस रूप में आकर-
पता नहीं किस रूप में आकर-
पता नहीं किस रूप में आकर-
पता नहीं किस रूप में आकर-

[Verse 2: Narci]
इंतजार में बैठा हूँ कब बीतेगा ये काला युग
बीतेगी ये पीड़ा और भारी दिल के सारे दुख
मिलने को हूँ बेक़रार पर पापों का मैं भागी भी
नजरें मेरी आगे तेरे श्री हरी जाएगी झुक
राम नाम से जुड़े हैं ऐसे खुद से भी ना मिल पाये
कोई न जाने किस चेहरे में राम हमें कल मिल जाये
वैसे तो मेरे दिल में हो पर आँखें प्यासी दर्शन की
शाम, सवेरे सारे मौसम राम गीत ही दिल गाये
रघुवीर ये विनती है तुम दूर करो अंधेरों को
दूर करो परेशानी के सारे भूखे शेरों को
शबरी बनके बैठा पर काले युग का प्राणी हूँ
मैं झूठा भी न कर पाऊंगा पापी मुँह से बेरों को
बन चुका बैरागी दिल, नाम तेरा ही लेता है
शायर अपनी सांसें ये राम सिया को देता है
और नहीं इच्छा है अब जीने की मेरी राम यहाँ
बाद मुझे मेरी मौत के बस ले जाना तुम त्रेता में
[Bridge]
राम के चरित्र में सबको अपने घर का, अपने कष्टों का जवाब मिलता है

[Chorus: Prem Bhushan Ji Maharaj]
पता नहीं किस रूप में आकर नारायण मिल जाएगा
निर्मल मन के दर्पण में वह
राम के दर्शन पाएगा

पता नहीं किस रूप में आकर नारायण मिल जाएगा
निर्मल मन के दर्पण में वह
राम के दर्शन पाएगा

पता नहीं किस रूप में आकर नारायण मिल जाएगा
निर्मल मन के दर्पण में वह
राम के दर्शन पाएगा

पता नहीं किस रूप में आकर नारायण मिल जाएगा
निर्मल मन के दर्पण में वह
राम के दर्शन पाएगा

[Outro: Narci]
बन चुका बैरागी दिल, नाम तेरा ही लेता है
शायर अपनी सांसें ये राम सिया को देता है
और नहीं इच्छा है अब जीने की मेरी राम यहाँ
बाद मुझे मेरी मौत के बस ले जाना तुम त्रेता में
बन चुका बैरागी दिल, नाम तेरा ही लेता है
शायर अपनी सांसें ये राम सिया को देता है
और नहीं इच्छा है अब जीने की मेरी राम यहाँ
बाद मुझे मेरी मौत के बस ले जाना तुम त्रेता में

पता नहीं किस रूप में आकर...
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