Kaash lyrics
by Vaibhav Pani
थामो मुझे ज़रा
अकेलेपन में जीना नहीं आसाँ
सालों पुरानी कौन थी, मैं ही
लगता है कुछ अजीब
काश, होती कोई पतंग या गाड़ी
जाती मैं अभी-अभी
बदली सी हूँ अब मैं
डर है कि भाग के फिसल ना जाऊँ फिर से
खरीदे हुए आँसू
ढूँढो तो मिलते दीवारों के पीछे
काश, सारे रंग बिकते
अभी-अभी किसी ने ना कहा
कि यही है ज़िंदगी
दर्द होगा ज़रा, पर महसूस नहीं