Niyam Ho lyrics
by Udit Narayan
अपनी तकदीर जो
अपने हाथों लिखे
अपनी हस्ती बना सके
राजा या रंक हो
जग उसके संग हो
ज़्यादा जो अंक पा सके
नियम हो, नियम हो, नियम हो
जहाँ का नया ये नियम हो
बेड़ी अज्ञान की
पिघला के ज्ञान से
बंदी सपने छुड़ा सके
बंदी सपने छुड़ा सके
कुदरत ने एक सा
हक सबको है दिया
सब हक अपना कमा सकें
नियम हो, नियम हो...
कोई, हुनर जिसमें हो
समय उसका ही, बदलता है
ओ माटी, नज़र आता हो
पिघलकर सोना, उगलता है
क्या लेना ज़ात से
क्या लेना नाम से
पहचानें सबको उनके काम से
बोये दस्तूर ने, जितने मतभेद हैं
उनको जड़ से मिटा सकें
राजा या रंक हो...