Sinbad the Sailor lyrics

by

Farhan Akhtar


सिंदबाद द सेलर एक जहाज़
में जब चला
मेरे यार सुनलो सुनलो
ढूँढ रहा था एक नयी दुनिया का पता
मेरे यार सुनलो सुनलो
वो अनजाने राहों में था
वो लहरों की बाहों में था
सब ने कहा था इन समन्दरों में जाना नहीं
मेरे यार सुनलो सुनलो
ख़्वाबों के पीछे जा के कुछ भी है पाना नहीं
मेरे यार सुनलो सुनलो
वो अपनी ही धुन में रहा
वो सुनता था दिल का कहा
उसके थे जो सपने वही उसके थे अपने
ऐसा था सिंदबाद द सेलर (सेलर)
उसके थे जो सपने वही उसके थे अपने
ऐसा था सिंदबाद द सेलर (सेलर)

उसका जहाज़ घिरा तूफानों में
मेरे यार सुनलो सुनलो
फ़िर भी ना आई कमी उसके अरमानों में
मेरे यार सुनलो सुनलो
वो दीवाना ऐसा ही था
वो सपनों का हमराही था
उसके थे जो सपने वही थे उसके अपने
ऐसा था सिंदबाद द सेलर (सेलर)
उसके थे जो सपने वही थे उसके अपने
ऐसा था सिंदबाद द सेलर (सेलर)
वो कुछ पाने की चाह में
वो बढ़ता रहा राहों में
गहरा समंदर था
ऊँची ऊँची लहरें
मेरे यार सुनलो सुनलो
कश्तियाँ जिनमें की मुश्किल से ठहरें
मेरे यार सुनलो सुनलो
वो साहिल तक आ ही गया
वो मंजिल को पा ही गया
उसके थे जो सपने वही थे उसके अपने
ऐसा था सिंदबाद द सेलर (सेलर)
उसके थे जो सपने वही थे उसके अपने
ऐसा था सिंदबाद द सेलर (सेलर)

तुम हो तो गाता है दिल
तुम नहीं तो गीत कहाँ
तुम हो तो है सब हासिल
तूम नहीं तो क्या है यहाँ
तुम हो तो है सपनों के जैसा हसीं
एक समां

जो तुम हो तो ये लगता है
की मिल गई हर खुशी
जो तुम ना हो तो ये लगता है
की हर खुशी में है कमी
तुमको है मांगती
ये ज़िन्दगी
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