तू फिर से आना Lyrics lyrics
by Raftaar
भर मस्तको पे ले चले
जो पुस्तकों से दूर
पनापे जिस ज़मीन पे
उस ज़मीन पे मा भी मजदूर
मन से नश्ट तन पे कश्ट
रात खाने में है चूर संग लून
यह गरीबी का कसूर
और जो नूर बनेंगे बच्चे कूद मै मिलेंगे
नसूर से पले जो कैसे सूरमे बनेंगे
कुछ वो फूल जो खिलेंगे
कुछ को स्कूल ना मिलेंगे
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